Sunday, June 12, 2022

इश्क़ विश्क़ (Translation of my Marathi Poem )

तुम्हें क्या लगता है, मैं तुमसे इश्क़ विश्क़ करती हूँ?

चलो हटो, ऐसा कुछ नहीं।

ये तो बस मेरे दिल बहलाने के सारे चोचले है

तुम्हारे बारे में सोचना, तुम्हारे प्यार में उदास होना

येना सारे मेरे नशे है

मन को रिझाने के सारे पैंतरे है


तुम्हें क्या लगता है, मैं तुमसे इश्क़ विश्क़ करती हूँ?

चलो हटो, ऐसा कुछ नहीं।

प्रेम आखिर में क्या होता है?

ख़ुद की ही कुछ ज़रूरतोंको पूरा करने के लिए होता है सारा

तुम्हें प्रेमपत्र लिखके आनंद मुझे मिलता है, तुमसे प्यार करके ख़ुशी मुझे मिलती है।

तुम्हारे बिरह में व्याकुल होके मन की तह तक मैं जाती हूँ।

पर आखिर में तुम्हारे बारे में सोचने वाला मन तो मेरा ही होता है ना? वो अनुभव भी मेरा ही होता है ना?


तुम्हें क्या लगता है, मैं तुमसे इश्क़ विश्क़ करती हूँ?

चलो हटो, ऐसा कुछ नहीं।

तुमसे मिलने के बाद, मेरे मन में बचे हुए तुम मुझे बहुत कुछ देके जाते हो।

वो मेरे मन में बसे हुए तूम, तुमसे कितने अलग होते हो,

मतलब आखिर में, मेरे मन में बसे हुए तुम कोई अलग ही हो ना?

तुम तो बस एक निमित्त मात्र हो

अंत में,  मैं, मेरे लिए, मेरे आत्मा के लिए ही सब कुछ है

बाकी सब शून्य है।