मराठी मेरी माता है तो हिंदी तू मेरी मौसी हैं।
क्यूंकि तुम दोनोकी माता संस्कृत है।
मेरी माँ मुझे बहोत प्यारी है
पर ऐ मौसी तू भी मेरी माँ जीतनी ही प्यारी है।
जो अपनापन माँ देती है वही अपनापन तू भी देती है।
तू मुझे बहोत सारे भारतीयोंसे जुड़ने का मौका देती है।
ऐ हिंदी तू तो मेरी प्यारी मौसी है।
मेरी माँ और तुम शादी के बाद अलग अलग घरोमें चली गयी
दोनों घर के थोड़े रीतिरिवाज अलग है
जिसे हम व्याकरण कहे सकते है
पर तुम दोनोंकी आत्मा एक ही है
जिसे हम शब्द कहे सकते है।
तुम दोनोंको ही तुम्हारे संस्कारोने सर्वसमावेशी बनाया है।
इसलिए तुम दोनों भी कितने सारे बाकी भाषाओंके शब्द आपने में समाती हो
यही तो अपनी संस्कृति है जिसका मुझे अभिमान है।
ऐ हिंदी तू तो मेरी प्यारी मौसी है।
ए हिंदी तू तोह विश्व व्यापी है
अंजान शहर में, अंजान सडकोंपे, अनजान लोगोंसे
जब तुम्हे सुनती हु तो बस सारा डर निकल जाता है
और रिश्ते अपनेआप बनते है।
ऐ हिंदी तू तो मेरी प्यारी मौसी है।
हमारी फिल्मोंके जरिए विश्व के कोने कोने में तुम पहुंच जाती हो
अपनी मधुर गीतोंसे सबका दिल बेहलाती हो
अपने समृद्ध साहित्य से कितनोंको प्रेरित करती हो
ऐ हिंदी तू तो मेरी प्यारी मौसी है।
ए हिंदी तू ना ही सिर्फ मेरी माँ की
पर बहु सारी बाकी भाषाओंकी भी बड़ी बेहेन हो
अपनी सारी बेहेनोंको लेके आगे बढना
अपने शब्दरूपी अलंकारोंकी बहनोंकेसाथ आदानप्रदान करना
और बस ऐसेही समृद्ध होती जाना।
और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ भाषा बनना
क्यूंकि ऐ हिंदी तू तो मेरी प्यारी मौसी है।
Varsha 11-Sep-2020